Prevent Copying

Saturday, November 23, 2013

बराबरी और एक दूसरे को सुनने का संदर्भ


स्कूल को एक मंच वाले ढांचे में जब बदला तो एक बराबरी और एक दूसरे को सुनने का संदर्भ नजर आता है। जहाँ किसी को नकारा नहीं जा रहा बल्कि उसे न्यौता दिया जाता है। जहां जिसको जो आता है वो उसे अपने अंदाज में बयां करे,उसे एक दूसरे से बांटे। इसमे एक दूसरे से खुद को सींचने का रिश्ता साथियों की आपसी जुगलबंदी को बनाने की ओर इशारा करता है। 
इस जुगलबंदी में टीचर का होना कोई जरूरी नहीं लगता। जब ऐसा एक संदर्भ बना कर छोड़ दिया जाए 
तो स्कूल में अपने आप ही सभवनाएं बनने लगती है।
 

साथी स्कूल में अपने छोटे-छोटे किस्सों, अपनी हरकतों और नियमित रूप से अपनी जगह में अपने शब्दों से नयी भाषा की रचना करते है। जो नियमित होती तो है पर दिखाई नहीं देती।